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कार्यालय निदेशक विद्युत सुरक्षा, उत्तर प्रदेश शासन, विभूति खण्ड-2, गोमती नगर, लखनऊ।

संख्याः 324 मु0ई0/दुर्घटना/35-सामान्य दिनांकः 11 जून, 2010

समस्त रीजनल उप निदेशक,

विद्युत सुरक्षा, उ0प्र0 शासन।

विषय: विद्युत अधिनियम 2003 की धारा-161 के अन्तर्गत विद्युत अधिष्ठापन से घटित होने वाली घातक/ साधारण दुर्घटना एवं अग्निकाण्ड की जांच एवं रिपोर्ट प्रेषण के सम्बन्ध में संशोधित आदेश।

कृपया शासकीय आदेश संख्या-1009 एफ पी-2/91-23 दिनांक 17-12-1991 (छायाप्रति संलग्न है) में विद्युत दुर्घटना की जांच रिपोर्ट के प्रेषण के सम्बन्ध में प्रक्रिया निर्धारित की गयी थी। मुख्यालय के ज्ञाप सं0-567-मु0/वि0दुर्घटना/सामान्य दिनांक 29-08-2005 (छायाप्रति संलग्न है।) के अन्तर्गत समय सारणी तय करते हुय आपको एवं निदेशालय के अधिकारियों को निर्देश जारी किये गये थे। वर्तमान में विद्युत प्रणाली में बढ़ोत्तरी होने के कारण विद्युत दुर्घटनाओं में बढ़ोत्तरी होने की सम्भावनायें है। दुर्घटना मे पीड़ित व्यक्तियों को तत्काल मदद देने की आवश्कयता है जिसके कारण दुर्घटना की जांच करने और तत्पश्चात सम्बन्धित प्रबन्ध निदेशकों की जांच रिपोर्ट्स भेजने के लिए निर्धारित समय सीमा को कम किये जाने की आवश्यकता है। अतः इस उद्देश्य से निदेशालय द्वारा निर्गत आदेश सं0-567-मु0/वि0 दुर्घटना/सामान्य दिनांक 29-08-2005 को संशोधित करते हुए जांच रिपोर्ट भेजने के कार्य को पुनः सरलीकरण किया जाता है और निम्नलिखित प्रक्रिया के अनुरूप दुर्घटना की जांच करने एवं रिपोर्ट प्रेषण हेतु आपको एंव निदेशालय के सम्बन्धित जांच अधिकारी को आदेश दिये जाते हैं:-

1- जोनल कार्यालय में किसी भी स्रोत से जिसमें टी0वी0/समाचार पत्र भी शामिल है, से विद्युत से घटित दुर्घटना/अग्निकाण्ड की सूचना मिलने पर उसकी जांच हेतु उसी दिन सहायक निदेशक द्वारा जांच अधिकारी नामित कर दिया जायेगा और जांच तिथि निश्चित करते हुए इसकी सूचना सम्बन्धित अधिकारी/व्यक्ति को इस प्रकार प्रेषित की जायेगी कि उसे दो दिन में इसकी जानकारी मिल जायें। जांच तिथि सूचित करने हेतु दूरभाष/फैक्स/ई मेल का भी प्रयोग किया जाय तथा स्थानीय स्तर पर पत्र वाहक को भेज कर भी सूचना दी जायें। सामान्यतः विद्युत दुर्घटनाओं की जांच सहायक निदेशक द्वारा ही की जायेगी परन्तु आवश्यकता होने पर साधारण विद्युत दुर्घटनाओं/अग्निकाण्ड की जांच विद्युत अवर अभियन्ता से अपने पर्यवेक्षण में करायी जा सकती है।

प्रत्येक दुर्घटना/अग्निकाण्ड की जांच का कार्य जोनल कार्यालय द्वारा दुर्घटना की जानकारी मिलने की तिथि से 07 दिन के अन्दर पूरा कर लिया जाय। घातक रूप से दुर्घटित व्यक्ति का पूर्ण विवरण प्राप्त होने के दिनांक को ही सम्बन्धित जिलाधिकारी से पुलिस रिपोर्ट प्राप्त करने हेतु अनुरोध कर लिया जायेगा।

यात्री बस/ट्रेक्टर ट्राली के ओवर हेड लाइनों के तारों के सम्पर्क में आने के कारण या ओवर हेड लाइन के कन्डक्टर के गिरने पर उसके निर्जीव न होने के कारण या लाइन पर कार्य करते समय पोल पर दुर्घटित के लटके होने की स्थिति के कारण संवेदनशील मामला हो जाता है और जनमानस में आक्रोश उत्पन्न होने की सम्भावना रहती है। अतः ऐसे संवेदनशील मामलों में दुर्घटना की सूचना प्राप्त होते ही उसी दिन सहायक निदेशक द्वारा स्थल जांच कर ली और उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर एक प्राथमिक (प्रिलिमनरी) रिपोर्ट तैयार करके उसी दिन फैक्स से प्रधान एवं रीजनल कार्यालय को प्रेषित कर दी जाये और दूरभाष पर भी अपने उप निदेशक को आख्या से अवगत करा दिया जाये ताकि रीजनल कार्यालय द्वारा मुख्यालय तथा शासन/प्रशासन को आख्या प्रेषित की जा सके।

रीजनल उप निदेशक भी उपरोक्त संवेदनशील प्रकार के प्रकरणों में अपने स्तर से सम्बन्धित सहायक निदेशक को दूरभाष से/लिखित रूप से कार्यवाही करने हेतु विशेष निर्देश देंगे और जांच कार्य की मानिटरिंग करते हुये निदेशक को लिखित एवं मौखिक रूप से सूचना देते रहेंगे।

2- एक सप्ताह में जांच कार्य पूरा करने के बाद विस्तृत आख्या पूरी करने का कार्य एवं अधिष्ठापन में पायी गयी कमियों/त्रुटियों के निवारण हेतु नियम 5(4) के अन्तर्गत आदेश जारी करने का कार्य व पूलिस/चिकित्सा रिपोर्ट मांगने आदि का समस्त कार्य करने के उपरान्त सहायक निदेशक प्रपत्र संख्या-4 के काल़म-9 ग की सक्षिप्त आख्या अंकित करके जांच रिपोर्ट समस्त कागजात सहित दो प्रतियों में तैयार कर अपने रीजनल कार्यालय को अधिक से अधिक तीन दिन के अन्दर भेज दें।

3- जोनल कार्यालय स्तर पर दुर्घटना की जांच का कार्य पूर्ण करके आख्या रीजनल कार्यालय को भेजने में 10 दिन से अधिक का समय न लगाया जाये। यदि किन्हीं अपरिहार्य कारणोवश 10 दिन से अधिक का समय लगाया जाता है तो साक्ष्यों/प्रमाणक सहित विलम्ब का कारण दो प्रतियों में अलग शीट पर संलग्न करके आख्या रीजनल कार्यालय को जांच रिपोर्ट के साथ प्रेषित की जाये।

4- जोनल अधिकारी जांच रिपोर्ट के साथ विभिन्न अधिकारियों/पीड़ित व्यक्ति के परिजनों को प्रेषित किये जाने वाले आवरण पत्र (प्रपत्र की छायाप्रति संलग्न) एवं प्रपत्र संख्या-4 की नौ-नौ प्रतियां (सुस्पष्ट एवं पठनीय) टाइप/कम्प्यूटर से टाइप करवाकर आख्या के साथ संलग्न करें। जिन जनपद/शहर में विद्युत वितरण फ्रेन्चाइजी द्वारा (जैसे आगरा में टोरेन्ट कम्पनी) किया जा रहा उस क्षेत्र से सम्बन्धित आवरण पत्र की छायाप्रति संलग्न है।

5- रीजनल मुख्यालय पर स्थित जोनल कार्यालय द्वारा प्रत्येक द्वारा प्रत्येक दशा में आख्या, रीजनल कार्यालय को डिस्पैच तिथि अथवा डिस्पैच तिथि के दूसरे दिन हस्तगत करा दी जाये।

6-रीजनल कार्यालय के अधीनस्थ अन्य जोनल कार्यालयों द्वारा आख्या रीजनल कार्यालय को रजिस्टर्ड/स्पीड पोस्ट से इस प्रकार भिजवाना सुनिश्चित किया जाये कि आख्या 05 दिन के अन्दर प्रत्येक दशा में रीजन को प्राप्त हो जाये। 05 दिन से अधिक समय लगने पर होने वाले बिलम्ब के लिए सम्बन्घित सहायक निदेशक ही उत्तरदायी होगें।

7- जोनल कार्यालय से जांच रिपोर्ट प्राप्त होने पर रीजनल उप दिनेशक आख्या का गहन परीक्षण करके प्रपत्र आख्या संख्या-4 के कालम 10 (निदेशक विद्युत सुरक्षा के मन्तव्य/संस्तुति) में पूर्व की भांति मन्तव्य/संस्तुति अंकित करके आवरण पत्र पर कृते निदेशक के रूप में हस्ताक्षर करके अधिक से अधिक 05 दिन कि अन्दर सम्बन्घित प्रबन्ध निदेशक, (यदि प्रबन्ध निदेशक का कार्यालय अन्य जनपद में हो तो) महाप्रबन्धक (औस) पावर कारपोरेशन लि0 लखनऊ प्रधान कार्यालय एवं पीड़ित/दुर्घटित के परिजनों को सीधे डाक द्वारा प्रेषित करें। प्रबन्ध निदेशक का कार्यालय यदि उस जनपद में जिसमें रीजनल कार्यालय स्थित है तो पत्रवाहक द्वारा जॉच रिपोर्ट्स प्रेषित की जायेगी, निगम के अधीक्षण अभियन्ता एवं अधिशाषी अभियन्ता की प्रति जोनल कार्यालय के माध्यम से प्रेषित की जायेगी।

यदि जॉच रिपोर्ट में कोई कमी पायी जाती है तो उप निदेशक इन्हीं पांच दिनों के अन्दर त्रुटियों/कमियों को इंगित करते हुये सहायक निदेशक को संशोधन कार्य के स्वरूप के अनुसार एक निश्चित समय निर्धारित करते हुये आख्या संशोधन हेतु लौटा देगें।

8- जांच कार्य में यदि जोनल कार्यालय स्तर पर विलम्ब हुआ हो तो संलग्न कारण पर उप निदेशक अपनी टिप्पणी/मन्तव्य अंकित करके प्रति, जांच कार्य में हुयी अनियमितताओं आदि के सम्बन्ध में सहायक निदेशक को प्रेषित पत्र एवं मामले से सम्बन्धित अन्य समस्त पत्र व्यवहार की एक-एक प्रति, आख्या के मूल कागजातों के एक-एक प्रति के साथ संलग्न करके संहत कार्यवाही प्रपत्र (प्रपत्र संलग्न) पर समस्त सूचनायें अंकित करते हुये आख्या प्रधान कार्यालय को प्रेषित करेगें। सहायक निदेशक द्वारा सूचित विलम्ब के कारण से यदि उप निदेशक संतुष्ट नहीं है तो उनके विरूद्ध वे कठोर कार्यवाही की अनुशंसा करेगें। सम्बन्धित पत्र की प्रति आख्या के साथ संलग्न की जाये।

9- रीजनल कार्यालय स्तर पर आख्या प्रेषण में यदि निर्धारित 05 दिन से अधिक का समय लगाया जाता है तो विलम्ब का कारण (प्रमाणक सहित) अलग शीट पर अंकित करके प्रधान कार्यालय को संलग्नकों के साथ प्रेषित किया जाये।

10- उप निदेशक प्रत्येक माह से सम्बन्धित निस्तारित दुर्घनाओं के मन्तव्यों का मासिक विवरण (संलग्न प्रारूप पर) अगले माह की 05 तारीख तक प्रधान कार्यालय भिजवायेंगे।

कृपया उपरोक्त निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार कार्यवाही तत्कालिक प्रभाव से कराया जाना सुनिश्चित करें।

संलग्नक:- यथोपरि।

(विजय पाल सिंह)
निदेशक

संख्याः मु0ई0/दुर्घटना/35-सामान्य/ तद्दिनांक

उपरोक्त की प्रतिलिपि समस्त जोनल सहायक निदेशक, वि0सु0, उत्तर प्रदेश शासन को सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित।

संलग्नक:- यथोपरि।

(विजय पाल सिंह)
निदेशक

संख्याः 324 II, III, IV, V, VI मु0ई0/दुर्घटना/35-सामान्य/ तद्दिनांक

उपरोक्त की प्रतिलिपि निम्न को सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित।

  • संयुक्त निदेशक, वि0सु0 उ0प्र0 शासन, प्रथम/द्वितीय, लखनऊ।
  • उप निदेशक, वि0सु0 उ0प्र0 शासन, प्रथम/द्वितीय/तृतीय मुख्यालय, लखनऊ।
  • सहायक निदेशक वि0सु0 उ0प्र0 शासन, प्रथम/द्वितीय/तृतीय मुख्यालय, लखनऊ।
  • विद्युत अवर अभियन्ता, प्रथम/द्वितीय मुख्यालय, लखनऊ।
  • सम्बन्धित लिपिक।

संलग्नक:- यथोपरि।

(विजय पाल सिंह)
निदेशक

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